Sunday, October 9, 2011

मैं भाव सूची उन भावों की

मैं भाव सूची उन भावों की, जो बिके सदा ही बिन तोले
तन्हाई हूँ हर उस ख़त की, जो पढ़ा गया हो बिन खोले ||


हर आंसू को हर पत्थर तक, पहुचाने की लाचार हूक
मैं सहज अर्थ उन शब्दों का, जो कहे गए हैं बिन बोले 
जो कभी नहीं बरसा खुल कर,  मैं उस बादल का पानी हूँ
लव कुश ही पीर बिना गाई, सीता की राम कहानी हूँ 
मैं भाव सूची .....................................................||


जिनके सपनों के ताजमहल, बनने से पहले टूट गए
जिन हाथों में दो हाथ कभी, आने से पहले छूट गए
धरती पर जिनके खोने और, पाने की अजब कहानी है 
किस्मत की देवी मन गयी, पर प्रणय देवता रूठ गए
मैं मैली चादर वाले उस, कबिरा की अम्रत वाणी हूँ
लुव कुश की पीर ..............................................||


कुछ कहते हैं मैं सीखा हूँ, अपने जख्मो को खुद सीकर
कुछ कहते हें में हँसता हूँ , भीतर भीतर आंसू पीकर
कुछ कहते हैं में हूँ विरोध से, उपजी एक खुद्दार विजय 
कुछ कहते हैं मैं रचता हूँ, खुद मैं मरकर खुद में जीकर 
लकिन मैं हर चतुराई की, सोची समझी नादानी हूँ
लुव कुश की पीर ..............................................||

By Dr. Kumar Vishvash ::

0 comments:

Post a Comment