नाजुक हाथ में कलम चाहिये
पकड़ा देते खुरपी और गेंती
मन के अन्दर शर्म न आती
ये है उनकी खुद की बच्ची
घर के कहते लोग सब
क्यो करोगी पढ़ाई
तुम्हें नौकरी तो करना नहीं है
करना है निनाण और गुड़ाई........
घर का करो काम
चूल्हे पर रोटी बनाना सीखो
सुबह शाम घास है लाना
यहाँ बैठ कर आँख मत मीचो
कितनी लड़कियाँ पढ़ कर भी
करती है खेत की कटाई
बक बक बातें मत कर
नहीं तो कर दूँगा तेरी पिटाई.......
कसूर माँ बाप का नहीं,
ऐसा है रहन सहन और सोच है कई गांवो की
जहाँ की बेटियाँ खुद
उगाती है पेड़, अपनी छाँव का
ये दुर्दशा गाँव की बेटियों की,
किससे करें वे अच्छी आशा
उनके मन मे एक ही शंका,
कोशिश करना व्यर्थ है मिलेगी वही निराशा.....
छोटी से उमर में ही
पकड़ा देते हैं भैंस की रस्सी
नाजुक हाथ में कलम चाहिये
पकड़ा देते खुरपी और गेंती
मन के अन्दर शर्म न आती
ये है उनकी खुद की बच्ची........
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