मैं भाव सूची उन भावों की, जो बिके सदा ही बिन तोलेतन्हाई हूँ हर उस ख़त की, जो पढ़ा गया हो बिन खोले ||
हर आंसू को हर पत्थर तक, पहुचाने की लाचार हूकमैं सहज अर्थ उन शब्दों का, जो कहे गए हैं बिन बोले जो कभी नहीं बरसा खुल कर, मैं उस बादल का पानी हूँलव कुश ही पीर बिना गाई, सीता की राम कहानी हूँ मैं भाव सूची .....................................................||
जिनके सपनों के ताजमहल, बनने से पहले टूट गएजिन हाथों में दो हाथ...
Sunday, October 9, 2011
Thursday, October 6, 2011
क्या कर लोगी पढ-लिख कर..????

नाजुक हाथ में कलम चाहियेपकड़ा देते खुरपी और गेंतीमन के अन्दर शर्म न आतीये है उनकी खुद की बच्चीघर के कहते लोग सबक्यो करोगी पढ़ाईतुम्हें नौकरी तो करना नहीं हैकरना है निनाण और गुड़ाई........
घर का करो कामचूल्हे पर रोटी बनाना सीखोसुबह शाम घास है लानायहाँ बैठ कर आँख मत मीचोकितनी लड़कियाँ पढ़ कर भीकरती है खेत की कटाईबक...
Posted by
Ravendra Kumar Saraswat
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