Sunday, October 9, 2011

मैं भाव सूची उन भावों की

मैं भाव सूची उन भावों की, जो बिके सदा ही बिन तोलेतन्हाई हूँ हर उस ख़त की, जो पढ़ा गया हो बिन खोले || हर आंसू को हर पत्थर तक, पहुचाने की लाचार हूकमैं सहज अर्थ उन शब्दों का, जो कहे गए हैं बिन बोले जो कभी नहीं बरसा खुल कर,  मैं उस बादल का पानी हूँलव कुश ही पीर बिना गाई, सीता की राम कहानी हूँ मैं भाव सूची .....................................................|| जिनके सपनों के ताजमहल, बनने से पहले टूट गएजिन हाथों में दो हाथ...

Thursday, October 6, 2011

क्या कर लोगी पढ-लिख कर..????

नाजुक हाथ में कलम चाहियेपकड़ा देते खुरपी और गेंतीमन के अन्दर शर्म न आतीये है उनकी खुद की बच्चीघर के कहते लोग सबक्यो करोगी पढ़ाईतुम्हें नौकरी तो करना नहीं हैकरना है निनाण और गुड़ाई........ घर का करो कामचूल्हे पर रोटी बनाना सीखोसुबह शाम घास है लानायहाँ बैठ कर आँख मत मीचोकितनी लड़कियाँ पढ़ कर भीकरती है खेत की कटाईबक...

Saturday, April 30, 2011

अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको

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Friday, April 29, 2011

माँ

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Tuesday, April 26, 2011

अपने दिलो में मुझको जला कर रखना

अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना , हर चोट के निशान को सजा कर रखना । उड़ना हवा में खुल कर लेकिन , अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना । छाव में माना सुकून मिलता है बहुत , फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना । उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं , यादों में हर किसी को जिन्दा रखना । वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना...

Monday, April 25, 2011

साथी, सब कुछ सहना होगा

साथी, सब कुछ सहना होगा! मानव पर जगती का शासन, जगती पर संसृति का बंधन, संसृति को भी और किसी के प्रतिबंधो में रहना होगा! साथी, सब कुछ सहना होगा! हम क्या हैं जगती के सर में! जगती क्या, संसृति सागर में! एक प्रबल धारा में हमको लघु तिनके-सा बहना होगा! साथी, सब कुछ सहना होगा! आ‌ओ, अपनी लघुता जानें, अपनी निर्बलता पहचानें, जैसे जग रहता आया है उसी तरह से रहना होगा! साथी, सब कुछ सहना होगा!...

Friday, April 22, 2011

Analysis of Our Emotional Brain

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