Friday, November 26, 2010

For 26/11 And Aydhya Kand

कहीं मस्जिद की हलचल हे, कहीं मंदिर की बेताबी मगर तामीर दोनों की, फकत इंसा ही करता है ! अगरचे दोनों मसकन में, खुदा ओ ईश रहते हैंतो फिर ये आदमी क्यों कर यहाँ, फिरके बदलता है ! यहाँ इमां का सौदा है, खनकते चंद सिक्कों पे भरम की बात पे देखो, धरम बेमोल...